कथावाचक जया किशोरी ने बताया प्रभु को पाने का आसान रास्ता, भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों पर की चर्चा

सार

Ujjain: कलयुग में यदि कल्याण चाहते हैं तो श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से ही कल्याण हो सकता है। यह बात सूतजी ने ऋषि शौनक से कही थी। यदि भगवान को पाना है तो हमें युवावस्था से ही अपने आपको भगवान को समर्पित करना चाहिए। बुढ़ापे में तो भगवान को याद करने से कोई लाभ नहीं। यह बात देवास रोड हामूखेड़ी स्थित आरके ड्रीम्स में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रसिद्ध कथावाचक जयाकिशोरी ने कही।

विस्तार

जयाकिशोरी ने नेमिषारण्य की कथा सुनाते हुए कहा कि सूतजी नेमिषारण्य में 88 हजार ऋषिगणों को कथा सुना रहे हैं। शौनक ऋषि सबसे बड़े ऋषि हैं। ऋषि सूतजी से पूछते हैं कि कलयुग में जीव का कल्याण कैसे होगा। तब सूतजी कहते हैं कि कलयुग में श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीव का कल्याण होगा। सूतजी एक कथा सुनाते हैं। एक बार एक सेठजी के गांव में संत आते हैं। सेठजी संत के पास गए। संत सबसे शांति से मिलते हैं। सेठजी ने संत से कहा मेरा किसी से रिश्ता नहीं बनता। बार-बार झगड़ा होता है। संत कहते हैं कि आपकी सात दिन में मृत्यु हो जाएगी। सेठजी 15 दिन बाद आकर कहते हैं कि 15 दिन बीतने के बावजूद मुझे कुछ नहीं हुआ। संत ने कहा कि सात दिन में क्या किया। सेठ ने कहा कि मैं तो भगवान में ऐसा रमा कि भगवान के अलावा और कुछ दिख नहीं रहा। जिस-जिस से झगड़ा हुआ था सबसे माफी मांगी। सोचा मरते-मरते क्यों दुश्मनी लेकर जाऊं। आधी से ज्यादा संपत्ति दान कर दी।

भगवान को युवावस्था में ही मनाना चाहिए
संत ने कहा कि इसी समस्या को लेकर तो तुम मेरे पास आए थे। अगर हमें पता हो कि अगले क्षण मृत्यु आने वाली है तो हम भगवान को ही याद करते हैं। कई लोग पूजा पाठ, दान, धर्म भविष्य पर छोड़ देते हैं। सोचते हैं यह तो बुढ़ापे का काम है। यानी जब व्यक्ति शरीर से कमजोर हो जाता है, चलना फिरना बंद हो जाता है तब भगवान को याद करता है। भगवान को युवावस्था में ही मनाना चाहिए। आज हर व्यक्ति अर्जुन है। कृष्ण के रूप में घरों में भगवद्गीता रखी है। जिसे पढ़ना जरूरी है।

हम स्वयं को भगवान को बुढ़ापे में क्यों समर्पित करें
व्यक्ति को शांति और सुकून की आवश्यकता युवावस्था में ही होती है, लेकिन इसके लिए बुढ़ापे में पीछे भागता है। हम स्वयं को भगवान को बुढ़ापे में क्यों समर्पित करें। युवावस्था में ही यह काम करना चाहिए। शौनक ऋषि से सूतजी कहते हैं कि कलयुग में जो सबका कल्याण कर सकता है वह है श्रीमद्भागवत कथा। सबसे पहले यह कथा सनकादि ऋषियों ने नारदजी से कही। जो भक्ति के साथ भगवान को बुलाता है वहां भगवान को अवश्य आना पड़ता है। देवी अनुसुइया ने अपने पतिव्रत धर्म के प्रभाव से ब्रह्मा, विष्णु, महेश को अपना पुत्र बना लिया था।

हम सब कुछ भगवान से मांगते हैं, लेकिन भगवान को नहीं मांगते। भगवान मिल जाए तो हमें सब कुछ मिल जाता है। इसलिए भगवान को मांगों। इस कलयुग में लोग इंसान को भगवान बना रहे हैं। सोमवार को भगवान विष्णु के अलग-अलग अवतारों की चर्चा की। साथ ही भगवान शंकर और पार्वती के विवाह की भी कथा सुनाई। जहां इंसान भगवान बनता है वहां गलत होता है। कथा आयोजन आरके डेवलपर्स के राकेश अग्रवाल ने बताया कि उनकी माता जी की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा 25 नवंबर तक कथा चलेगी। मंगलवार को प्रह्लाद चरित्र नृसिंह अवतार की कथा होगी। 

Leave a Comment